हम सभी कृष्ण भक्त भली भांति जानते हैं की श्री कृष्ण के 108 नाम हैं | परन्तु इनमे से एक नाम भगवान के सभी नामों से काफी भिन्न है | वासुदेव श्री कृष्ण को राणछोड़’ के नाम से भी जाना है, | जो लोग भगवान के बारे में कम जानकारी रखते हैं,उनके मं में यह नाम सदैव ही एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है | लोग यह सोचने पर मजबूर हो जते हैं की स्वयं नारायण भी इतने निर्बल थे, की उन्हें युध्भूमि को पीठ दिखानी पड़ी ?
किंतु सभी भक्तों को बता दें की रणछोड़ नाम, श्री कृष्ण के बल और साहस की नही बल्कि उनके ब्रज वासियों के प्रति बलिदान और प्रेम का बोध कराता है | आईये जानते है की कैसे भगवान श्री कृष्ण का नाम ‘रणछोड़’ पडा |
यह बात उस समय की है जब मगधराज जरासंध ने भगवान श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा था ,|तब उस समय जरासंध ने यवन देश के राजा कालयवन को भी अपने साथ मिला लिया था। कालयवन को भगवान शिव से ये वरदान प्राप्त था कि कोई चंद्रवंशी या सूर्यवंशी उसे युद्ध में हरा सकता है। उसे न तो कोई हथियार मार सकता है और न ही कोई अपने बल से हरा सकता है।
भगवान शंकर से मिले वरदान की वजह से कालयवन खुद को अमर जिस बात का उसे बहुत घमंड होने लगा | जरासंध के कहने पर कालयवन ने अपनी सेना के साथ मथुरा पर आक्रमण कर दिया। अब चूंकि श्रीकृष्ण जानते थे कि कालयवन को वो अपने बल से मार नहीं सकते हैं | इसलिए वो रणभूमि छोड़ कर भाग गए और एक अंधेरी गुफा में पहुंच गए।
उस गुफा में पहले से ही इक्ष्वाकु नरेश मांधाता के पुत्र और दक्षिण कोसल के राजा मुचकुंद देवराज इंद्र से वरदान प्राप्त कर गहरी नींद में सोए हुए थे। लगातार कई दिनों तक देवताओं के पक्ष से असुरों के साथ युद्ध कर उन्होंने देवताओं को जीत दिलाई थी। वह थक गए थे, इसलिए भगवान इंद्र ने उनसे सोने का आग्रह किया और उन्हें एक वरदान भी दिया, जिसके मुताबिक जो कोई भी उन्हें नींद से जगाएगा, वह जलकर भस्म हो जाएगा।
राजा मुचकुंद को मिले वरदान की बात श्रीकृष्ण को पता थी, इसलिए वो कालयवन को अपने पीछे-पीछे उस गुफा तक ले आए, जहां राजा मुचकुंद सोए हुए थे। श्रीकृष्ण ने कालयवन को भ्रमित करने के लिए अपना पीतांबर राजा मुचकुंद के ऊपर डाल दिया। राजा मुचकुंद को देख कर कालयवन को लगा कि वह श्रीकृष्ण ही हैं और उससे डर कर अंधेरी गुफा में छुप कर सो गए हैं। इसलिए उसने श्रीकृष्ण समझ कर राजा मुचकुंद को ही नींद से उठा दिया। अब राजा मुचकुंद जैसे ही नींद से उठे, कालयवन वहीं जल कर भस्म हो गया।
श्री कृष्ण कालयवन से युद्ध लड़ने की जगह भाग गये, इसीलिए उनका नाम रणछोड़ पद गया | दरअसल कालयवन को भगाते भगाते राजा मुचकुंद की गुफा तक लाना और उनके नेत्रों से उसे भस्म करवान यह सब भगवान की एक लीला थी |