Trichambaram Temple – यहाँ रौद्र रूप में विराजमान है श्री कृष्ण

Trichambaram Temple

केरल के कन्नूर जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर, तलिपरम्बा में स्थित त्रिचंबरम मंदिर (Trichambaram Temple) भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक अत्यंत प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ वास्तुकला की विशिष्टता के लिए भी जाना जाता है। जहां भगवान श्री कृष्ण के बाल रौद्र स्वरूप की पूजा की जाती है। त्रिचंबरम मंदिर की दिव्यता और यहां के वार्षिक उत्सव श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। तो चलिए दक्षिण भारत के इस अद्भुत श्री कृष्ण मंदिर के बारे में कुछ और रोचक बातें जानते हैं।

दर्शन का समय

प्रात: – 05.00 AM – 12.00 PM
सायं – 05.00 PM – 08.00 PM

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मंदिर की वास्तुकला – Architecture

त्रिचंबरम मंदिर की वास्तुकला केरल की पारंपरिक शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर मुख्यतः लकड़ी और पत्थरों से निर्मित है और इसकी नक्काशी कला अद्वितीय है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार यानि गोपुरम केरल के अन्य मंदिरों की तरह अत्यंत ऊंचा और भव्य है, जो श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता है। मंदिर के मुख्य आकर्षण का केंद्र इसका गर्भगृह है, जहां 15वीं और 16वीं सदी की नक्काशी और भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं। गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित है और इसके चारों ओर लकड़ी के खूबसूरत स्तंभ हैं। मंदिर की दीवारों पर भी देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं की कहानियों को चित्रित करते हुए भित्ति चित्र बनाए गए हैं।

मंदिर परिसर में तालाब के बीच में देवी दुर्गा को समर्पित एक मंदिर भी मौजूद है। जो  प्राचीन केरल के 108 दुर्गाालयों में से एक है। मंदिर परिसर के पास भगवान शिव, गणपति और नाग देवताओं समेत अन्य देवों के भी मंदिर मौजूद हैं । इस मंदिर के पास तीन तालाब हैं। मंदिर के गर्भगृह का शिखर ऊँचा और पारंपरिक शिल्पकला का प्रतिनिधित्व करता है। गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है, जहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन के बाद परिक्रमा करते हैं। मंदिर का बाहरी प्रांगण शांत और हरे-भरे वृक्षों से घिरा हुआ है, जो एक आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण करता है।

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मंदिर का इतिहास – Trichambaram Temple History

त्रिचंबरम मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है और यह केरल के कुछ सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। इसके निर्माण का सही समय किसी को स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि, यह मंदिर 11वीं या 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर का संबंध दक्षिण भारत के प्रसिद्ध राजवंश चेरा और कोलाथुनाडु से भी जोड़ा जाता है, जिन्होंने इस क्षेत्र पर शासन किया था।

स्थानीय मान्यता यह कहती है कि, त्रिचंबरम मंदिर उन स्थानों में से एक है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर निवास किया था। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है। त्रिचंबरम नाम स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के शांति और तपस्या से संबंधित है। त्रिचंबरम का वार्षिक उत्सव यानि ‘त्रिचंबरम उत्सव’, इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व का परिचायक है। इस उत्सव के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां एकत्र होते हैं और भगवान की आराधना करते हैं।

मंदिर की मूर्तियां – Idol Description

त्रिचंबरम मंदिर की मुख्य मूर्ति भगवान श्रीकृष्ण की है, जो उन्हें उनके बाल रूप में दर्शाती है। जहां कंस वध के बाद बाल कृष्ण के रौद्र स्वरूप को प्रतिमा का रूप दिया गया है। यह मूर्ति भगवान कृष्ण को युद्ध की मुद्रा में दिखाती है, जो उनकी अद्वितीयता और वीरता को प्रकट करती है। मूर्ति को श्री बालकृष्ण के रूप में पूजा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की यह मूर्ति अत्यंत मनमोहक है। जिसमें उनके शस्त्र, मुकुट, और आभूषण सुंदर ढंग से सजाए गए हैं।
मंदिर के गर्भगृह में अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां हैं। जिनमें मुख्यतः भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की मूर्तियां प्रमुख हैं।

मंदिर की मूर्तियों को विशेष अवसरों पर खास रूप से सजाया जाता है और इन मूर्तियों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है।

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मंदिर की मान्यताएं – Temple Culture

त्रिचंबरम मंदिर से कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि, यहां की जाने वाली प्रार्थनाएं और पूजा अवश्य फलदायी होती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा यहां विशेष रूप से की जाती है और माना जाता है कि जो भक्त यहां सच्चे दिल से पूजा करते हैं, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। त्रिचंबरम मंदिर केरल के प्रसिद्ध अभिमान क्षेत्रम में से एक है,जो प्राचीन वैष्णव मंदिरों की सूची में शामिल है। जहां कंस वध और श्री कृष्ण विजय को बड़ा विशेष माना जाता है। यही कारण है कि त्रिचंबरम मंदिर में हाथियों का प्रवेश वर्जित है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कंस ने भगवान को मारने के लिए हाथी भेजे थे। 

त्रिचंबरम उत्सव के दौरान यहां दर्शन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। त्रिचंबरम मंदिर में दर्शन के बाद भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। इस मंदिर की धार्मिक मान्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाती है। त्रिचंबरम मंदिर की दिव्यता और ऐतिहासिक महत्ता इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित करती है, जहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए आते हैं।