रंगनाथ मंदिर वृंदावन (Rangnath Temple Vrindavan) – उत्तर भारत का सबसे अनूठा मंदिर

Rangnath Temple Vrindavan

वृंदावन का रंगनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है | यह मन्दिर जितना विशाल है, उतना ही सुंदर भी है | लोगों की मानें तो रंगनाथ मंदिर उत्तर भारत के सबसे विशाल मन्दिरों में से है |

दर्शन का समय

प्रात:- 8:30 AM – 11:00 AM
सायं – 4:00 pm – 09:00 PM

मेरो वृन्दावन एंट्री पॉइंट से दुरी – 8.3 KM

मन्दिर का इतिहास

रंगनाथ मन्दिर का निर्माण सन 1851 में सेठ लखमीचंद के भाई सेठ गोविंददास और कृष्ण दास द्वारा स्वामी रंगाचार्य के मार्गदर्शन के आधार पर कराया गया था | स्वामी रंगाचार्य एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान और गुरु थे | कहते हैं की उस समय में इस मन्दिर के निर्माण में 45 लाख रुपय खर्च हुए थे | 

रंगनाथ मन्दिर की वास्तुकला 

मंदिर की बनावट और वास्तुकला अपनी द्रविड़ शैली के लिए जानी जाती है | जिसमें एक गोपुरम है जो दक्षिण भारत के मंदिरों की याद दिलाता है। रंगजी मंदिर की बारीक सजावट और नक्काशी एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है और एक आध्यात्मिक केंद्र में उत्तर और दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करती है। भगवान रंगनाथ के ठीक सामने एक 60 फीट ऊँचा और लगभग 20 फीट भूमि के भीतर धँसा हुआ तांबे का एक ध्वज स्तम्भ बनाया गया। इस अकेले स्तम्भ की लागत दस हज़ार रुपये आई थी। मन्दिर का मुख्य द्वार 93 फीट ऊँचे मंडप से ढका हुआ है।

मन्दिर की विशेषता 

इस मंदिर के सभी कार्येक्रम, रिवाज़ एवं मंदिर के ब्राह्मण पुजारी भी दक्षिण भारत से ही होते हैं | यहं भक्तों को दक्षिण भारत का मनमोहक पारंपरिक संगीत सुनाई देता है जो यहं आने वालों का मन शांत कर देता है | इस मन्दिर में भक्तों को स्वयं श्री नारायण विष्णु के सभी वाहन जैसे शेषनाग, हाथी इत्यादि देखने को मिलते हैं | वहन की सभी प्रतिमाएं शुद्ध सोने की बनाई गयीं हैं | यहाँ गैर हिन्दुओं का आना प्रतिबंधित हैं | गैर हिन्दू आंगन तक और गैर भारतीय पहले द्वार तक ही प्रवेश करते हैं |

मंदिर में एक वाहनघर भी है जिसमे भक्त नारायण देव के सभी वाहनों के दर्शन प्राप्त कर सकते हैं | इस मंदिर में पुजारी पूरी 84 घंटियाँ बजा कर दर्शन करते हैं | इस मंदिर के बारे में भाकर गन कहते हैं की जो भी यहाँ तली बजकर, हंस कर माता की जय बोल कर जाता हैं उसपर माता महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है |

इस मंदिर परिसर में कईं मंदिर बनाये गये हैं | जैसे की तिरुपति बालाजी का मंदिर | इस मंदिर में भगवान को सोने का मुकुट, सोने के कुंडल और हीरे का तिलक लगाया जाता है | भगवान के एक तरफ भूदेवी की प्रतिमा है और एक तरफ श्रीदेवी की | शुक्रवार को भगवान का अभिषेक किया जाता है जिसके बाद वः गरीबों में बाट दिया जाता है |

मान्यता है की यहाँ के कभी यहाँ के मुनीम ने धर्म में बाधा डाली थी, तो उनकी वज्रपात बिजली गिरने से मृत्यु हुई उनके बच्चे आज भी है क्या 101 दीप का भोग लगाते हैं | 

3 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *