नमस्कार दोस्तों !!! जैसा की आप सभी जानते ही हैं, की श्री कृष्ण का जन्म कंस की एक कारागार में हुआ था | जन्म के पश्चात ही उनके पिता वासुदेव उन्हें यमुना नदी पार कर गोकुल में श्री नन्द बाबा के घर ले आते हैं |
क्योंकि गोकुल में कृष्ण जी का बचपन बीता है, इसीलिए पूरा गोकुल श्री कृष्ण की लीला स्थलियों से भरा हुआ है | उन्ही में से एक के बारे में मैं आज आपको जानकारी दूंगा | इस पावन धाम का नाम है रमण रेती | यह वही स्थान है है जहां श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ रेट में खेला करते थे |
रमण रेती का इतिहास
मान्यता है की यहाँ की रेत पर स्वयं श्री कृष्ण, राधा रानी जी और बलराम जी चले हैं | एक बार जब श्री कृष्ण यहाँ खेल रहे थे, तब गोपियों ने उनकी गेंद चुरा ली। तब उन्होंने रेत की ही गेंद बना ली।
कैसा है रमण रेती मंदिर ?
इस रमण रेती मंदिर में एक लीला स्थल है जिसके साथ ही मुख्य मंदिर भी जहां अधिकतर भजन कीर्तन चलते रहते हैं | भक्तगण इस समय बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ यहाँ भक्ति में लीन हो कर नृत्य करते हैं | मंदिर प्रांगण में आते समय कईं कुटिया बनी हुई दिखती हैं, उनमे साधू संत रहते हैं | प्रसिद्ध कृष्ण भक्त रस खान ने भी यहां श्री कृष्ण जी की भक्ति की थी और अंत में यहीं पर अपना शरीर त्यागा था | यहां आश्रम के बगल में ही संत रसखान जी की समाधि बनी हुई है |
जिस प्रकार से छोटे बच्चे का मन रोज खेलने का होता है, ऐसे ही यहां ठाकुर जी अपने सखाओं के साथ खेले हैं लोटे हैं | ऐसे ही इसका नाम पड़ा रमणरेती |
क्यों विशेष है रमण रेती?
आपको बतादें की दूर दूर से कृष्ण भक्त यहाँ आ कर मिट में लोट पोट होते और घर बनाते हैं | ऐसा करने से उनका विश्वास है की उनकी शारीर की समस्त बीमारियाँ ठीक हो जाएँगी और उनका खुद का एक घर होगा | माना जाता है की यहां रज (रेत) में लोट लगाने से यह रेत कपड़े में नहीं लगती है | यहाँ की रेत को वरदान दिया है |
यह पावन स्थान महान संतों की तपोस्थली भी रही है | मंदिर में कईं साडी कुतिया बनी हुई है जिनमे कृष्ण की भक्ति करने वाले साधू संत रह कर तपस्या करते हैं | यहाँ बनी कुटियाओं में सभी प्रकार के साधू संत रहते हैं | साधू संतों और भक्तों को एक ही प्रकार का प्रसाद दिया जाता है |
मंदिर में एक हिरन पार्क भी है जहाँ कईं हिरन और पशु पक्षी रहते हैं | इस मंदिर की आरतियों में हाथियों का आना भी आम बात है |