Peeli Pokhar : राधा रानी के हाथ धोने से पीला हो गया था कुंड

Peeli Pokhar

ब्रजमण्डल के अनुपम स्थल बरसाना में स्थित पिली पोखर, राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम की गवाही देता है। राधारानी के जन्मस्थल पर मौजूद इस पवित्र कुंड को प्रिया कुंड के नाम से भी जाना जाता है। अत्यंत प्राचीन और पवित्र प्रिय कुंड, राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं से जुड़ा हुआ है। जिसका आनंद लेने के लिए अक्सर यहां श्री कृष्ण भक्तों का तांता लगा रहता है।

पिली पोखर इतिहास

पीली पोखर नाम से प्रसिद्ध प्रिया कुंड के निर्माण से जुड़ी कोई स्पष्ट कहानी या तारीख नहीं मिलती। इसे किसने खोदा या किसने इसका निर्माण करवाया ? इसका कोई पौराणिक साक्ष्य भी नहीं है। लेकिन इस पोखर का वर्णन राधा-कृष्ण लीला के समय द्वापरयुग में जरूर मिलता है। पीली पोखर के निर्माण से जुड़ी स्थानिए मान्यता ये कहती है कि, इसका निर्माण ब्रह्मदेव ने पृथ्वी के निर्माण के समय ही करवाया था। जब उनके मानसपुत्रों ने उनसे इसकी इच्छा जाहीर की थी। सदियों तक ये पोखर ऐसे हीं ब्रज क्षेत्र में मौजूद रहा। लेकिन इसे नाम तब मिला जब राधारानी के हाथ धोने से इसका पानी पीला हो गया।

इस लीला के बाद ये पोखर इतना प्रसिद्ध हो गया कि,आगे चल कर समय-समय पर कृष्ण भक्त इस पोखर का निर्माण करते रहे। जिसका परिणाम ये है कि,आज इस पोखर के आसपास कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। जो इस स्थल की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं। इनमें प्रमुख हैं श्री राधा रानी मंदिर, जिसे ‘लाडलीजी मंदिर’ भी कहा जाता है अथवा रंगीली महल | इसके साथ ही यहाँ श्रीजी मंदिर और मन मंदिर भी स्थित हैं, जो अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। पीली पोखर के चारों ओर मौजूद अन्य छोटे-छोटे मंदिरों के अलावा, यहाँ मौजूद वृक्ष और पत्थरों की सीढ़ियों की संरचना इसे अद्वितीय बनाती है। यहाँ की वास्तुकला में प्राचीन भारतीय शिल्पकला की झलक देखने को मिलती है, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

 पीली पोखर से जुड़ी कहानी

पीली पोखर से जुड़ी एक प्राचीन कथा के अनुसार,राधारानी अक्सर अपनी सखियों के साथ इस कुंड में खेला करती थीं। एक बार जब उनके हाथ में हल्दी लगी थी, तो उन्होंने इसी कुंड में अपने हाथ धोए थे। जब राधा रानी ने अपने हल्दी लगे हाथों को इस कुंड में धोया, तो इस कुंड का जल पीला हो गया। यही कारण है कि इसे पीली पोखर कहा जाने लगा। 

पीली पोखर और राधा कृष्ण लीला

प्रसिद्ध कृष्णभक्त स्वामी हरिदास जी द्वारा गाई गई एक कृष्ण लीला की माने तो, यह कुंड उन अनेक स्थलों में से एक है जहाँ राधा-कृष्ण ने अपनी लीलाओं का प्रदर्शन किया। जहां राधा और कृष्ण ने कई बार खेल-खेल में जलक्रीड़ाएं की थी। पीली पोखर के पवित्र जल में स्नान करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है। भक्तजन यहाँ आकर राधाकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़ी कथाएं और लीलाएं इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। पीली पोखर कृष्णभक्तों का वो अनमोल धरोहर है, जो उन्हें राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं और प्रेम की याद दिलाता है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *