गोकुल की गलियों में श्री कृष्ण बाल लीलाएं करते थे, माखन चुराते थे, गोपियों को परेशान करते थे और खेल-खेल में अनेकों दैवीय चमत्कार भी दिखा जाते थे। ऐसी कृष्ण लीलाएं हम सब अपने बचपन से ही सुनते चले आ रहे हैं। लेकिन नंद बाबा के उस पुराने घर का क्या, जहां श्री कृष्ण ने अपनी बाल क्रीड़ाएं दिखाईं? तो चलिए आज हम आपको, गोकुल की पवित्र भूमि पर मौजूद उस 5000 साल पुराने नंद भवन से अवगत कराते हैं। जो अब मंदिर स्वरूप में, आज भी श्री कृष्ण की उन मनोहर लीलाओं का प्रमाण देता है।
विषय सूचि
दर्शन का समय
प्रात: – 5:00 AM से – 12:00 Noon
सायं – 2:00 PM – 9:00 PM
नन्द भवन मंदिर का वर्णन
नन्द भवन मंदिर को करीब 500 साल पहले, राजा रूप सिंह द्वारा बनवाया गया था। जो एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान कृष्ण के पालक माता-पिता (नंद और यशोदा) की पूजा की जाती है।
गोकुल में श्री कृष्ण के पालक पिता नंद महाराज का निवास स्थान नंद भवन था। यह मंदिर बहुत प्राचीन है जो आज भी मथुरा से 30 किलोमीटर दूर स्थित नंदगांव में, एक पर्वत शिखर पर मंदिर स्वरूप में विराजमान है। जिसके चारों ओर हरियाली है। नंद भवन के ठीक बराबर में यमुना नदी बहती है। इसके साथ ही इस भवन रूपी मंदिर में, पूरे नंद परिवार के दर्शन भी होते हैं। जिसमें सबसे बड़ा स्वरूप दाऊ जी, नंद बाबा और मैया यशोदा का है। इसके साथ ही नंद भवन में बाल रूप में श्री कृष्ण झूले पर विराजमान है। इस मंदिर में आने पर सभी भक्त बाल कृष्ण को झूला अवश्य झुलाते हैं।
84 खंभों पर टीके पीले रंग के नन्द भवन को, चौरासी खंबा मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि, इस भौतिक जगत मे 84,000 प्रकार के जीव जन्तु हैं और प्रत्येक खंभा ब्रह्मांड मे निवास करने वाली 1000 योनियों का प्रतीक है। इस खम्बो के बारे में कहा जाता है की कोई भी इन खम्बो को 84 की गिनती तक नही गिन सकता | जिन पर श्री कृष्ण के बाल्यकाल की अनेकों आकृतियाँ भी चित्रित हैं। इन पत्थर के खंभों की बेहतरीन नक्काशी, नन्द भवन मंदिर को और मनमोहक बनाती है। वहीं मंदिर की दीवारें, भगवान कृष्ण के बचपन के चंचल प्रसंगों को पेंटिंग के माध्यम से दर्शाती हैं।
मंदिर के प्रांगण में एक परस पीपल का वृक्ष है जिससे जुडी यह मान्यता है की जब श्री कृष्ण गायों को चरा कर घर आते थे तो इसी वृक्ष की छाया में विश्राम करते थे | आज भी कार्तिक मास में इस वृक्ष में 5 रंग के पुष्प आते हैं |
नन्द भवन मंदिर का इतिहास (Nand Bhawan History)
गाँव वाले बताते हैं कि, नंद बाबा के पास 9 लाख की संख्या में गायें थीं। जिसकी वजह से इस स्थान को गोकुल कहा जाता था। इस भवन में आज भी वह कक्ष मौजूद है, जहां भगवान कृष्ण बाल्य काल के समय आराम किया करते थे।
इसी कक्ष से पूतना भगवान को मारने के मकसद से उनका अपहरण कर ले गई थी और कृष्ण जी ने पूतना का वध कर दिया था। तब श्री कृष्ण की आयु सिर्फ 6 दिन की थी।
नन्द भवन में ही नांदेश्वर मंदिर स्थित है। जिसके बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शिव को, मैया यशोदा ने श्री कृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन नहीं करवाए। तो इसी स्थान पर महादेव ने बिना कुछ खाए पिए 3 दिन और 3 रात तपस्या की जिसके कारण इसका नाम शंकर तपो भूमि पडा |
मंदिर पर औरंगजेब का आक्रमण
देश सभी मंदिरों की भांति नन्द भवन मंदिर भी विदेशी मुगलों के हमलों की भेंट चढ़ चुका है। जिसके अंतर्गत, मुगलों को मंदिर के प्रांगण में लगे हीरे-मोती और सोना-चांदी जो कुछ भी कीमती सामग्री मिली वो सब लूट कर ले गए । इसके अलावा नंद भवन के 84 खंबों में कुछ खंबे आधे कटे हुए हैं। जिसके बारे में मंदिर के पुजारी जी बताते हैं कि, मुग़लों ने खंबों को काट काट के देखा की अंदर धन तो नहीं छिपा।