सभी कृष्ण भक्त गोवर्धन पर्वत से तो अवगत हैं ही | वाही गोवर्धन पर्वत जिसे श्री कृष्ण ने अपनी एक ऊँगली पर उठा कर पुरे वृन्दावन को इंद्र देव के प्रकोप से बचाया था | उसी गोवर्धन पर्वत के पास ही ऐसे कईं स्थान है जो श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम और उनके दिव्य स्वरुप के प्रमाण देते हैं | जैसे की राधा कुंड और कुसुम सरोवर|
ब्रज की परीक्रमा मार्ग पर गोवर्धन पर्वत से 2 KM दूर, राधा कुंद के समीप स्थित कुसुम सरोवर एक अत्यंत सुंदर सरोवर है | कुसुम सरोवर के बारे में मान्यता है की द्वापरयुग में श्री कृष्ण और राधा रानी ठीक इसी स्थान पर छुप छुप कर मिलने आते थे | राधा रानी की सखियाँ भी श्री कृष्ण के लिए फूल लेने इसी स्थान पर अति थीं | इसके बारे में एक बात अत्यंत प्रसिद्ध है की इसके नीचे एक पारस पत्थर और नागमणि है |
इस सरोवर के चरों तरफ सैकड़ों सीढीयाँ बनाई गयी है | यह 450 फीट लम्बा और 60 फीट गहरा सरोवर है | इस स्थान पर कईं कदम के वृक्ष मिलते हैं | यह सरोवर मध्य प्रदेश के राजा वीर सिंह बुंदेला के द्वारा सन 1768 में बनवाया गया था | उनके बाद रजा सूरजमल ने इसका जिर्नौद्धर किया और इसे एक भव्य रूप प्रदान करवाया | इसके पश्चिम में सूरजमल के बेटे राजा जवाहर सिंह ने अपने पिता और अपनी तीनों माताओं की याद में ऊँचे ऊँचे चबूतरे बनवाये | इनपर बनी अत्यंत सुंदर कलाकृतियाँ आज भी लोगों को मन मोह लेती हैं |
इस सरोवर में बहुत बड़ी शिलाएं हैं जो की स्नान के लिए उचित नही है | आज के समय में यह सरोवर स्नान के लायक नही है लेकिन पास में बने घाटों में श्रद्धालु स्नान का आनंद ले सकते हैं | यहाँ प्रतिदिन कईं पर्यटक सूर्यास्त देखने के लिए भी आते हैं योंकि इस सरोवर से सूर्यास्त बहुत सुंदर लगता है | दर्शन करने आये श्रद्धालु इसके अंदर नहीं जाते बल्कि बहर से ही दर्शन कर आगे बढ़ते हैं |