राधे राधे मित्रो ! आपको तो पता ही होगा की वृन्दावन में यमुना नदी के तट पर कईं घाट बने हुए हैं | यमुना नदी पर बने सभी घाट अपना अपना महत्व पुराणों में रखते हैं | जैसे नदी में स्नान करती गोपियों के वस्त्र श्री कृष्ण एक पेड़ पर टांग देते हैं | उसके बाद वह स्थान चीर घाट के आम से प्रसिद्द हुआ | आज हम आपको एक ऐसे ही अनूठे धाम केसी घाट के दर्शन करवाएंगे |
इस घाट के दोनों तरफ कईं छोटे छोटे मंदिर बने हुए हैं | इन मंदिरों में भक्त दर्शन कर यमुना नदी में स्नान करते हैं | इस घात पर यमुना जी की आरती देखने लायक होती है | आरती से पूरा वातावरण मानो श्री कृष्ण में लीन हो जाता है | यहाँ एक तरफ गोपी घाट है जो की श्री कृष्ण और महादेव शिव से सम्बन्धित है | माना जाता है की जब श्री कृष्ण महारास कर रहे थे, तो स्वयं महादेव उस रास को देखने चले आये | क्योंकि उस रास में केवल गोपियाँ ही जा सकती थीं, इसीलिए महादेव ने इसी घात पर स्नान कर एक गोपी का रूप धारण किया था | इस घाट पर महादेव के उसी गोपी स्वरुप की पूजा भी की जाती है |
केसी घाट कथा – Kesi Ghat History
कथा है की एक बार श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी घाट पर गाय चराने आये | उनके एक सखा तब कहते हैं की तुम्हारी सुन्दरता इस मयूर मुकुट और इस बंसी में है | अगर तुम ये मुझे दे दो, तो साडी गोपियाँ मझे ही अधिक प्रेम करेंगी और मझे ही लड्डू और माखन खिलाएँगी | यह सुन श्री कृष्ण अपना मयूर मुकुट और बंसी निकाल कर सखा को देते हैं | इसी बीच वहां एक केसी दैत्य हवा की गति से उनकी ओर आ रहा होता है | मामा कंस ने ही श्री कृष्ण को मारने के लिए केसी नामक राक्षस को श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा था | केसी दैत्य काले घोड़े के रूप में आता है | राजा कंस ने केसी दैत्य को कहा था की जो बालक सर पर मयुर्मुकुत, और हाथों में बंसी धारण किये हुए है, वही कृष्ण है और तुम्हे उसे ही मारना है |
क्योंकि उस समय मयुर्मुकुत, और बंसी सखा के हाथों में होती है, केसी दैत्य सखा को ही कृष्ण समझने की भूल क्र देता है | किंतु उसे आता देख श्री कृष्ण अपने सखा को उसके रास्ते से हटा लेते हैं | इसके पश्चात श्री कृष्ण उस केसी दैत्य का वध कर देते है | वैसे तो सखा को कोई चोट तो नहीं लगती पर वह बहुत भयभीत हो जाता है | फिर वः मयुर्मुकुत, और बंसी वापस कृष्ण को देता है |
और इस प्रकार उस घात का नाम केसी घाट पढ़ता है |
कब जाएँ केसी घात?
अगर आप केसी घाट के दर्शन करने की अभिलाषा रखते हैं तो आपको बता दें की केसी घाट 24 घंटे खुला रहता है | किंतु अगर आप शाम 4:30 बजे आते हैं तो आपको यहाँ की प्रसिद्ध आरती देखने का अवसर मिलेगा | उसके बाद आप केसी घाट का सूर्यास्त देखना न भूलें |