हिन्दू धर्मग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार राधा भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका और उनकी अनन्य भक्त थीं। राधा का वर्णन प्रमुखतः श्रीमद्भागवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, और गीता गोविन्द में मिलता है। वे श्रीकृष्ण की लीलाओं का अभिन्न हिस्सा मानी जाती हैं और उनके प्रेम को दिव्य और अलौकिक प्रेम का प्रतीक माना जाता है। किंतु क्या आपको पता है की राधा की मृत्यु कैसे हुई ?
राधा और कृष्ण का संबंध आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। वृंदावन और बरसाना में राधा के प्रति विशेष पूजा होती है, जहाँ राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान किया जाता है। हिन्दू धर्मग्रंथों की अनेकों कहानियों में राधा रानी को देवी का अवतार बताया गया है। लेकिन श्रीकृष्ण के गोकुल छोड़ने के बाद, राधारानी का वर्णन नहीं मिलता। तो आइए अपने इस लेख में राधारानी के सुखद अंत की चर्चा करते हैं।
श्रीकृष्ण के बिना राधा का जीवन – Radha’s life without Krishna
भागवत पुराण और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा का जीवन कृष्ण के बिना अधूरा हो गया था। श्रीकृष्ण के मथुरा से चले जाने के बाद राधा का जीवन बहुत बदल गया। जब श्रीकृष्ण मथुरा गए, तो राधा ने उनके वियोग में अपना जीवन बिताया। ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति में राधा ने अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए अपना समाजिक जीवन तो जीया, लेकिन उनका हृदय हमेशा श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित रहा। राधा ने अपने सांसारिक कर्तव्यों का पालन किया, लेकिन उनकी आत्मा श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति में हमेशा लीन रहती थी और राधारानी का यही वियोग उनके अंत का कारण बना।
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राधा की मृत्यु कैसे हुई ? – How Radha Died?
ब्रजमंडल में राधा की मृत्यु के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। उन्ही कथाओं में प्रचलित सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, राधा ने अपने अंतिम क्षणों में श्रीकृष्ण से मिलने की इच्छा व्यक्त की। श्रीकृष्ण ने उनकी इस इच्छा को पूरा किया और जब वे राधा से मिले, तो राधा ने उनसे बांसुरी की धुन सुनने की इच्छा जताई। श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी बजाई और राधा रानी की अंतिम इच्छा को पूर्ण किया | इस अंतिम इच्छा को पूरा किया और श्री कृष्ण तब तक बांसुरी बजाते रहे जब तक राधा ने अपना शरीर त्याग नहीं दिया। इस कथा में यह भी कहा गया है कि, राधा की मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी को तोड़कर फेंक दिया। जिससे यह संकेत मिलता है कि, अब उनके जीवन में बांसुरी की कोई आवश्यकता नहीं रही।
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क्या कहते हैं धर्म ग्रन्थ ?
भागवत पुराण और अन्य हिंदू ग्रंथों में राधा की मृत्यु के बारे में स्पष्ट विवरण नहीं मिलता। लेकिन उनके जीवन की घटनाओं को अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखते हुए उनकी मृत्यु का अनुमान जरूर लगाया जा सकता है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, राधारानी और श्री कृष्ण का प्रेम लौकिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक प्रेम माना गया है। जो शरीर के बंधनों से परे है। यह प्रेम आत्मा का परमात्मा से मिलन है और राधा की मृत्यु को इसी मिलन के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।