वृन्दावन के 7 प्रमुख घाट – वृन्दावन आयें तो ज़रूर दर्शन करें

वृन्दावन के 7 प्रमुख घाट

भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना किनारे कईं स्थानों पर अपनी लीलाओं से जगत को प्रेम, सौहार्द्र और पर्यावरण का संदेश दिया। कन्हैया की उन्ही लीलाओं के साक्षी बने वृंदावन के घाट आज भी मौजूद हैं। तो आइए जानते हैं, यमुना किनारे बसे इन अत्यंत प्राचीन घाटों के बारे में।

केशीघाट

केशी घाट वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख घाट है। यमुना नदी के तट पर स्थित केशी घाट न केवल भक्तों के लिए पवित्र स्नान करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। बल्कि यहाँ के सबसे सुंदर और अच्छी तरह से बनाए गए घाटों में से एक है। मदन मोहन मंदिर की पृष्ठभूमि पर स्थित यह घाट, अविश्वसनीय रूप से विस्तृत और बारीक नक्काशीदार जड़े हुए पत्थर के काम से बना है। जो पूरे वातावरण को और अधिक सुशोभित करता है। घाट इतना महत्वपूर्ण है कि जो कोई भी इसे देखता है, इसमें स्नान करता है, इसका पानी पीता है या यहाँ के पानी की एक गंध भी लेता है तो वह शुद्ध हो जाता है। इसी घाट पर भगवान श्री कृष्ण ने केशी नामक एक राक्षस का वध किया था। घाट का नाम उसी राक्षस के नाम पर रखा गया है। 

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राधा बाग घाट

राधा बाग घाट  ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण घाट है। जो वृंदावन के मुख्य शहर के बहुत करीब स्थित, एक छोटे से पवित्र शहर बरसाना में राधा रानी मंदिर के पीछे स्थित है। यह स्थान एक अलौकिक अनुभूति देता है क्योंकि यह न केवल पवित्र स्थलों से घिरा है। बल्कि हरे-भरे और सदियों पुराने पेड़ों के झुरमुटों से भी भरा हुआ है। इस जगह की सुंदरता,कई मोरों की उपस्थिति से और बढ़ जाती है। जो भगवान कृष्ण की याद दिलाते हैं।

श्री वराह घाट

वृंदावन में स्थानीय लोगों के  जीवन को बढ़ावा देने वाली यमुना नदी के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित वराह घाट का नाम, उस घटना के नाम पर रखा गया है जब भगवान कृष्ण ने प्रत्येक गोपी की खुशी के लिए जंगली सूअर का रूप धारण किया था। एक अन्य कहानी यह भी कहती है कि, सत युग के समय एक राक्षस ने बहुत हिंसक रूप से कठोर धरती को हिलाया था। जिससे पृथ्वी अपनी कक्षा से उछल कर ब्रह्मांड की तह में चली गई थी। उस दौरान वाराह रूप में ​​भगवान पृथ्वी को गहरी खाईं से उठा कर वापस अपनी कक्षा में लेकर आए थे।

श्री बिहारी घाट

बिहारी घाट का नाम युगल बिहारी मंदिर के नाम पर रखा गया है। जिस मंदिर के पास ये घाट स्थित है। श्री युगल किशोर जी मंदिर का यह घाट, वृंदावन के सबसे पुराने घाटों में से एक है। जिसे 1627 में बनाया गया था। यह घाट केशी घाट के इतने करीब स्थित है कि, इसे आसानी से केशी के साथ भ्रमित किया जा सकता है। घाट की कहानी अकबर के शासन के समय से चली आ रही है। जब वैष्णव समुदाय ने राजा से यहाँ मंदिर बनाने की अनुमति मांगी थी और उन्हे एक के बजाय 4 मंदिर बनाने की अनुमति मिली थी।

कालिया दमन घाट

कालिया दमन घाट वृंदावन के सभी घाटों में से एक सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र घाट है । घाट का नाम एक राक्षस नाग के नाम पर रखा गया है। जिससे भगवान ने युद्ध करके उसे वश में किया था। कहा जाता है कि,हजार फन वाले कालिया नाग ने यमुना नदी को अपना नया घर बना लिया था और वृंदावन के बाकी हिस्सों के लिए जीवन देने वाली यमुना नदी के स्रोत में जहर उगल दिया था। जिससे श्री कृष्ण ने कालिया नाग से युद्ध किया और उसे मार डाला। लड़ाई पूरी होने के बाद,भगवान ने नाग के सिर के ऊपर नृत्य भी किया था।  

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चीर घाट

वृंदावन का यह प्रमुख घाट प्रतिष्ठित केशी घाट के बहुत करीब और राधा दामोदर मंदिर के बहुत पास स्थित है। यदि आप भगवान कृष्ण द्वारा वृंदावन की झीलों में स्नान करते समय, गोपियों के साथ मजाक करने की कहानी से परिचित हैं। तो यह वही स्थान है जहां श्री कृष्ण ने अपनी वो लीला की थी। जहां पहले कदंब के ढेरों वृक्ष हुआ करते थे। जिन पर द्वापर युग में श्री कृष्ण ने गोपियों का वस्त्र चुराकर लीला रची थी। श्री कृष्ण की लीला का यह स्वरूप आज भी चीर घाट में देखा जा सकता है। जहां मौजूद कदंब के वृक्ष पर भक्त लाल कपड़ा बांधते हैं।

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श्रृंगार वट घाट

वृंदावन में कई घाटों का नाम भगवान,गोपियों,राधा या भगवान द्वारा उस स्थान पर की गई लीलाओं के नाम पर रखा गया है। लेकिन श्रृंगार वट घाट का शाब्दिक अर्थ बाकी घाटों से अलग है। जिसका मतलब है,सजाया हुआ बरगद का एक पेड़। श्रृंगार वट घाट उन खूबसूरत और पवित्र स्थानों में से एक है,जहाँ भगवान कृष्ण ने अपनी प्रिय राधा रानी को फूलों से सजाया था। यह घाट वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक में स्थित है। जिसका भक्तों और स्थानीय निवासियों के जीवन में बहुत अधिक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। यह स्थान उस प्रेम को दर्शाता है जब कृष्ण ने यहाँ राधा रानी को पाया था और उन्हें देखकर इतने प्रसन्न हुए थे कि,उन्होंने उन्हें फूलों से सजाया था।

मथुरा, वृंदावन और इसके आसपास के अधिकांश इलाकों में हर रास्ता, गली या प्रतिष्ठान श्री कृष्ण से जुड़ी हर ऐतिहासिक और पौराणिक अतीत की याद दिलाता है। जिन में इन आठ महत्वपूर्ण घाटों का अपना एक अलग स्थान है। 

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