Geeta Jayanti: इसी दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता उपदेश

Geeta Updesh

भागवद गीता सिर्फ भारत ही नही बल्कि विश्व भर के लिए एक आदर्श ग्रन्थ है जो मनुष्य को आदर्श समाज की ओर ले जाता है | जैसा की हम सब जानते है भागवद गीता वही अमूल्य विचार विमर्श का संग्रह है जो भगवान श्री कृष्ण और धनुर्धर अर्जुन के बीच महाभरत के युद्ध से पहले हुआ था | जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह गीता ज्ञान दिया उसी दिन को गीता जयंती के नाम से जाना है |

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गीता जयंती न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह जीवन को समझने, उसे सही दिशा देने और कर्म-धर्म के साथ-साथ भक्ति और ज्ञान के महत्व को आत्मसात करने का अवसर भी देता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का स्मरण किया जाता है। जो हमें यह सिखाते हैं कि परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। 

क्या है गीता जयंती? What is Geeta Jayanti Festival?

Geeta

गीता जयंती वह विशेष दिन है, जब महाभारत के युद्धक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, धर्म और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का उपदेश दिया था। गीता में 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में न केवल धार्मिक शिक्षा दी गई है, बल्कि जीवन को सही दिशा में जीने का मार्ग भी दिखाया गया है। भगवद्गीता का उद्भव तब हुआ, जब अर्जुन ने युद्ध से पूर्व अपने कर्तव्यों को लेकर संशय व्यक्त किया। तब अर्जुन को कर्तव्यपालन, धर्म और आत्मज्ञान के सिद्धांतों को समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया।

गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह एक सार्वभौमिक ग्रंथ है। यह दिन हर धर्म, जाति और समाज के लिए प्रेरणादायक है। इसमें जीवन के हर पहलू,धर्म, कर्म, भक्ति, ज्ञान और मोक्ष का वर्णन किया गया है। जो हमें यह बताती है कि जीवन में किसी भी स्थिति में अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए और सच्चे मार्ग पर चलना चाहिए।

गीता जयंती कब मनाई जाती है? When is Geeta Jayanti Celebrated?

गीता जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार पवित्र मानी जाती है और इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक है। इस वर्ष 2024 में यह जयंती 11 Dec 2024 के दिन मनाई जाएगी |

क्योंकि यह दिन ज्ञान, मोक्ष और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है। गीता जयंती के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान प्रदान किया था, वह न केवल अर्जुन के लिए बल्कि पूरे मानव समाज के लिए था। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व आमतौर पर नवंबर या दिसंबर के महीने में आता है। इस दिन को विशेष रूप से कुरुक्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां गीता का उपदेश दिया गया था। गीता जयंती के दिन मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं, भगवद्गीता का पाठ करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन हर किसी के लिए आत्मावलोकन और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का उत्तम समय होता है।

गीता जयंती कैसे मनाई जाती है?

गीता जयंती का उत्सव धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों से भरा होता है। इसे मनाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना, हवन, प्रवचन और भगवद्गीता पाठ का आयोजन किया जाता है।

  • श्रीमद्भगवद्गीता पाठ- इस दिन भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है, जिसमें 18 अध्यायों के माध्यम से जीवन के रहस्यों और कर्तव्यों की व्याख्या की जाती है।
  • कुरुक्षेत्र में विशेष आयोजन- कुरुक्षेत्र जहां गीता का उपदेश दिया गया था, इस पर्व का मुख्य केंद्र है। यहां भव्य धार्मिक आयोजन, रथयात्राएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  • योग और ध्यान- गीता जयंती पर योगाभ्यास और ध्यान का विशेष महत्व है। यह दिन आंतरिक शांति और आत्मिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
  • भंडारा और सेवा- इस दिन मंदिरों में भंडारे का आयोजन किया जाता है और जरूरतमंदों को भोजन व अन्य सामग्री प्रदान की जाती है।
  • सामूहिक प्रवचन और विचार गोष्ठियां- गीता जयंती पर विद्वान और संत श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों की व्याख्या करते हैं और उनके संदेशों को जनसामान्य तक पहुंचाते हैं।

यह पर्व न केवल धार्मिक है बल्कि इसे एक सामाजिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जहां लोग एकत्र होकर धर्म और ज्ञान की बात करते हैं।

गीता जयंती का महत्व – Importance of Geeta Jayanti

गीता जयंती का महत्व केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं है, यह दिन मानव जीवन के उच्चतम उद्देश्यों को समझने का भी अवसर प्रदान करता है।

  • धर्म और कर्तव्य का ज्ञान- गीता जयंती हमें सिखाती है कि जीवन में हर परिस्थिति में अपने धर्म और कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
  • आध्यात्मिक जागृति- यह दिन आत्मा के महत्व, मोक्ष और जीवन के सत्य को समझने का अवसर है। गीता के उपदेश हमें सिखाते हैं कि आत्मज्ञान ही जीवन का परम लक्ष्य है।
  • सार्वभौमिक संदेश- भगवद्गीता का संदेश किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं है। यह मानवता के लिए है और हर व्यक्ति के जीवन को प्रेरित करता है।शांति और सद्भाव- गीता जयंती हमें सिखाती है कि जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए और आंतरिक शांति को कैसे प्राप्त किया जाए।
  • योग और ध्यान का महत्व- यह दिन गीता योग के विभिन्न प्रकारों जैसे भक्ति योग, कर्म योग और ज्ञान योग का महत्व बताता है। यह दिन हमें इन्हें अपने जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है।गीता जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह मानवता के लिए एक प्रकाशस्तंभ है। यह दिन हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और भगवान के दिव्य ज्ञान को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है।

गीता जयंती भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जो धर्म, ज्ञान और आत्मा के उच्चतम सत्य को प्रकट करता है। यह दिन हमें श्रीकृष्ण के दिव्य उपदेशों का स्मरण करने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश हर युग में प्रासंगिक है और गीता जयंती हमें इस अनमोल ग्रंथ के महत्व को समझने का अवसर देती है। यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि यह आत्मचिंतन, आत्मज्ञान और समाज के लिए योगदान देने का प्रेरणा स्रोत है। गीता जयंती हमें यह सिखाती है कि जीवन में सच्ची भक्ति, सही कर्म और ज्ञान से ही परम सुख और शांति प्राप्त की जा सकती है।