Famous Temples in Barsana – बरसाना के 5 प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर

Barsana

जिस तरह वृन्दावन में श्री कृष्ण पूजे जाते हैं, वैसे ही बरसाने में श्री जी यानि के राधा रानी पूजी जाती हैं | ऐसी मान्यता है की जो भी राधा रानी की भक्ति करता है वो स्वयं ही श्री कृष्ण का प्रिय बन जाता है | बरसाना वही स्थान है जहां राधा रानी का बचपन बीता है | बरसाने में श्री कृष्ण और राधा रानी की बहुत सी लीलाएं प्रसिद्ध हैं जो आज भी दोनों के प्रेम का प्रमाण तो देती ही हैं, बल्कि कलियुग में भी लोगों को प्रेम का सदाचार सीखाती हैं | इस स्थान पर ऐसे अनेकों मंदिर हैं जो किसी न किसी तरीके से श्री जी और श्री कृष्ण से जुदा हुआ है | आज हम आप सभी कृष्ण भक्तों को उन्ही मंदिरों के दर्शन करायेंगे जो राधा रानी से जुड़े है |

राधा रानी मंदिर, बरसाना 

दर्शन करने का समय

  • 05:00 AM – 06:00 AM
  • 07:30 AM – 01:00 PM
  • 05:00 PM – 09:00 PM

यह मंदिर 5000 वर्ष पुराना है, इसका निर्माण स्वयं श्री कृष्ण के प्रपोत्र वज्रनाभ ने कराया था | किंवदंती के अनुसार कृष्ण और राधा का प्रथम मिलन हुआ था। (संकेत का शब्दार्थ है पूर्वनिर्दिष्ट मिलने का स्थान) यहां भाद्रपद शुक्ल अष्टमी (राधाष्टमी) से चतुर्दशी तक बहुत सुंदर मेला होता है। इस मंदिर में जाने के लिए भक्तों को कुल 250 सीढियां चढ़नी पढ़ती हैं |

और जानें – Radha Rani Mandir Barsana – 5000 वर्ष पूर्व कृष्ण के परपोते ने बनवाया था

रंगीली महल

दर्शन का समय
प्रात: – 08:00 AM to 12:00 Noon
सायं – 01:00 PM – 03:00 PM

मान्यता के अनुसार यह मंदिर ठीक उसी स्थान पर है जहां श्री राधा रानी का अवतरण हुआ था | यह मंदिर बहुत भव्य और सुंदर है जो की तुरंत ही भक्तों का मन मोह लेता है | महल में मुख्यतः सफेद संगमरमर का प्रयोग हुआ है | महल के चारों ओर जलाशय उर बागीचे हैं, जो इसकी शोभा को और बढ़ाते हैं। महल की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है, जिसमें राधा-कृष्ण की लीलाओं का चित्रण है। मंदिर में राधा रानी के अलावा भी कईं देवी देवताओं की मूर्तियाँ है जिनका भक्त दर्शन करते हैं | 1996 में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने, राधारानी की इस प्राचीन जन्मस्थली पर उनकी याद में इस भव्य महल का निर्माण करवाया था। 

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कीर्ति मंदिर 

दर्शन का समय

प्रात – 05:30 AM – 06:30 AM
आरती – 08:30 AM – 12:00 Noon
सायं – 04:00 AM – 8:00 PM

कीर्ति मंदिर विश्व का इकलौता मंदिर है जो श्री लाडली जू की माता किरत जी को समर्पित है | इस मंदिर में राधा रानी किरात माता की की गोद में बैठी हैं। इस मंदिर का निर्माण स्वयं श्री जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने करवाया था | यह मंदिर की महत्व वृन्दावन स्थित प्रेम मंदिर जितना ही है |  इसके निर्माण के लिए 11,000 टन लाल पत्थर लगा जो भरतपुर से मंगवाया गया था |  इस मन्दिर पर रात्रि के समय बहुत सुदर रौशनी की जाती है, जो की थोड़ी थोड़ी देर में बदल जाता है | 

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पिली पोखर

प्रिया कुंड के नाम भी जाना जाने वाला कुंड पीली पोखर अत्यंत प्राचीन और पवित्र प्रिय कुंड है | इसका नाता  राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं से जुड़ा हुआ है। इसके निर्माण का उल्लेख तो इतिहास में इतना नहीं मिलता लेकिन इससे जुडी एक मान्यता लोगों में प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार इस पोखर में राधा रानी के हल्दी के हाथ धोने से इस पुरे पोखर का पानी पीला हो गया था | इसके आस पास कईं प्राचीन मंदिर स्थित हैं जो भक्तों का ध्यान आकर्षित करते हैं | 

और जानें – Peeli Pokhar : राधा रानी के हाथ धोने से पीला हो गया था कुंड

मान मंदिर 

दर्शन का समय
प्रात
: – 07:00 AM – 12:00 Noon
सायं – 04:00 PM – 09:00 PM

माना जाता है की इस ब्रह्मांचल पर्वत पर आज भी वह गुफा मौजूद है जहां पर राधा जी श्री कृष्ण से रूठ कर चिप गयीं थीं | लोग कहते हैं की आज भी उस गुफा की एक शिला पर राधा जी के हाथ और पैरों के निशान हैं | इसी स्थान पर रूठी हुई राधा रानी को श्री कृष्ण मोर का रूप धारण कर मनाने का प्रयास करते हैं | बरसाने में ठीक इसी जगह प्रसिद्ध रमेश बाबा ने इसी गुफा में बैठकर करीब तीस सालों तक राधारानी की आराधना की थी। श्री माता जी गौशाला भी इसी जगह पर स्थित है जिसे लोग पुरे भारतवर्ष में जानते हैं | इस गौशाला में रमेश बाबा की निगरानी में 55000 गायों की देखभाल होती है |

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