Cheer Ghat – श्री कृष्ण ने कपडे क्यों चुराए | Why Krishna steals clothes

cheer ghat - Shree krishna stealing clothes of gopis

श्री कृष्ण अपने बालपन में गोपियों को बहुत तंग करते थे | यह खानी तो सभी कृष्ण भक्तों नें खूब सुनी है | किंतु क्या आपको पता है की वः स्थान कोनसा है, जहां कृष्ण नें गोपियों के वस्त्र चुरा कर पेड़ पर टांग दिये थे | 

चलिए हम आपको बताते हैं | 

क्या है चीर घाट (Cheer Ghat)?

वृन्दावण में ही स्थित है एक स्थान जिसे चिर घाट कहा जाता है | मान्यता है की यह वही स्थान है जहां श्री कृष्ण ने अपने बचपन में गोपियों के वस्त्र चुरा कर वृक्ष पर टांग दिए थे | यह घाट राधा दामोदर मंदिर के ठीक निकट में ही स्थित है |

इसमें चीर का तात्पर्य वस्त्र से है| यहां भगवान श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में बहुत सी लीलाएं की थी | आज भी आपको चीर घाट पर वह वटवृक्ष देखने को मिल जायेगा, जिसपर कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र टाँगे थे | आज के समय में तो इस वृक्ष के पास यमुना नदी नही दिखती पर माना जाता है की द्वापरयुग में श्री कृष्ण के समय यमुना इस वृक्ष के निकट से बहती थी |

इसका कारण ज्ञानी बताते हैं, जिस प्रकार मनुष्य ने सतकर्म करना छोड़ दिया उसी प्रकार माता यमुना ने दुखी हो कर अपने पुराने घाट भी छोड़ दिए |

चीर घाट कथा  – Cheer Ghat History

कहानी के अनुसार, उस समय में कुछ युवतियां नग्न हो कर नदी में स्नान करने जाया करती थीं | यह बात श्री कृष्ण को बहुत चिंतित करती थी, वे यह सोचते थे की खिन उन युवतियों की बदनामी न हो जाये | 

तो उन्हें ज्ञान देने के लिए एक दिन श्री कृष्ण ने उन स्नान करती युवतियों के वस्त्र एक वट वृक्ष पर टांग दिए | जब युवतियों ने यह देखा तो उन्होंने कृष्ण से अपने वस्त्र मांगे | पूछने पर कृष्ण ने मना कर दिया और कहा की मुझे नही पता की कौनसा वस्त्र किसका है | अत: तुम खुद ही आकर लेलो | 

गोपियाँ यह सुन कहती हैं, अगर हम इसी अवस्था में बाहर आ गये थो हमे लज्जा आयेगी | 

श्री कृष्ण ने इसका उत्तर देते हुए कहा | हे युवतियों, मुझ 5 वर्ष की आयु के बालक से तुम्हे लज्जा आ रही है | किंतु ऐसी अवस्था में स्नान करने से तुम्हे जल देवता वरुण देव से लज्जा नही आई? आकाश में उपस्थित सूर्य देवता से लज्जा नही आई? 

यह सुनकर गोपियों को उनकी भूल का आभास होता है | मान्यता है की इस कहानी को आधार मान कर, हर युवती यह मनोकाम करती है की, जिस प्रकार तुमने उन गोपियों की रक्षा की उसी प्रकार तुम मेरे और मेरे परिवार के सम्मान की रक्षा करना |

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