देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur Ji) महाराज भारत के प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक हैं। जो भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक जागरण का कार्य कर रहे हैं। वे विश्व विख्यात ‘वृंदावन धाम’ से जुड़कर धार्मिक और सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं। देवकीनंदन ठाकुर जी का व्यक्तित्व उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अक्सर अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों को धर्म और अध्यात्म की ओर आकर्षित करते हैं।
ठाकुर जी महाराज विशेष रूप से भागवत कथा का प्रचार-प्रसार करते हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा होती है। उनकी कथाएं भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सुनी जाती हैं। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज विश्व भर में हजारों भक्तों द्वारा आदर और श्रद्धा के पात्र हैं।
ठाकुर जी महाराज अपने प्रवचनों के माध्यम से समाज सुधार, मानवता की सेवा और भक्ति मार्ग पर चलने के साथ-साथ देश भक्ति की भी शिक्षा देते हैं। सूत्रों की मानें तो देवकीनंदन एक कथा का 10 – 12 लाख रूपी लेते हैं |
विषय सूचि
जन्म व परिवार – Devkinandan Thakur Birth & Family
देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur Ji) महाराज का जन्म 12 सितंबर, 1978 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के ओहावा गांव में हुआ था। एक ब्राह्मण परिवार से संबंध होने के नाते उनका पालन-पोषण धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण में हुआ। उनके पिता का नाम राजवीर शर्मा तथा माता का नाम अनुसुइया है | ठाकुर जजी विवाहित हैं और उनका एक पुत्र भी है |
उन्हें अपने परिवार से ही प्रारंभिक जीवन में ही धर्म और भक्ति का ज्ञान मिल गया था। उनके परिवार का माहौल धर्मपरायण था, जिसके कारण उन्होंने बचपन से ही धर्म के प्रति विशेष रुचि दिखाई।
ठाकुर जी महाराज का बचपन वृंदावन के पवित्र वातावरण में बीता। जहां वे श्रीकृष्ण और राधारानी के दिव्य प्रेम की कथाओं को सुनकर बड़े हुए। उनका आध्यात्मिक जीवन बचपन से ही दृढ़ था। जहां वे धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ-साथ संत-महात्माओं के सान्निध्य में रहकर भगवान की भक्ति में डूबे रहते थे। उनके परिवार और गांव के लोग उनकी सरलता, विनम्रता और भक्ति से प्रभावित थे।
बचपन में ही देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur Ji) को श्रीमद्भागवत कथा सुनने और सुनाने का बहुत शौक था और यही कारण था कि, उन्होंने छोटी उम्र में ही कथावाचन शुरू कर दिया था। जब वे छह साल के थे, तब घर छोड़कर वृंदावन चले गए और ब्रज के रासलीला संस्थान में शामिल हुए। उनके जीवन के प्रारंभिक वर्षों में मिले धार्मिक संस्कारों ने उनके आध्यात्मिक विकास में अहम भूमिका निभाई, जिसने उन्हें एक प्रभावशाली धार्मिक गुरु के रूप में स्थापित किया।
दीक्षा – Devkinandan Thakur Education
देवकीनंदन ठाकुर जी श्री राधा सर्वेश्वर जी के भक्त माने जाते हैं। जिन्होंने अपने जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक दीक्षा को बहुत महत्व दिया। वैसे तो ठाकुर जी अंग्रेजी से स्नातक हैं, किंतु महाराज जी ने अपने बचपन में ही आध्यात्मिक ज्ञान और भगवद् भक्ति की दीक्षा प्राप्त कर ली थी । यह दीक्षा वृंदावन धाम में स्थित ‘गुरुकुल’ में हुई, जहां उन्होंने अपने गुरु जी श्री पुरुषोत्तम शरण शास्त्री महाराज के चरणों में रहकर गहन रूप से वेद, पुराण और शास्त्रों का अध्ययन किया।
दीक्षा के बाद उन्होंने अपने गुरु की प्रेरणा से भागवत कथा के प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाया और युवावस्था में ही कथावाचन के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर लिया।
देवकीनंदन ठाकुर जी के कार्य- Notable Works of Devkinandan Thakur Ji
देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur Ji) ने धर्म और समाज के लिए कईं कार्य किया हैं | आईये उनके द्वारा किये गये कुछ अक्र्यों के बारे में जानते हैं |
- देवकीनंदन ठाकुर जी ने वृन्दावन में ही एक विषय प्रसिद्ध प्रियकांत जू मंदिर का निर्माण करवाया जो श्रधालुओं को वृन्दावन में आते ही वहां के रंग में रंग देता है |
- विश्व भर में वे अभी तक 1000 से भी अधिक कथाएं कर चुके हैं जिनमे सिंगापुर, मलेशिया, स्वीडन, डेनमार्क अथवा नॉर्वे जैसे देश भी शामिल हैं |
- 20 अप्रैल 2006 के दिन देवकीनंदन ठाकुर जी विश्व शांति सेवा चैररिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की जिसके सहयोग से वे विश्व में सनातन धर्म और शांति के सन्देश देते हैं |
- देवकीनंदन जी गौ रक्षा अभियान, गंगा यमुना प्रदूषण मुक्त, पर्यावरण संरक्षण, दहेज प्रथा, छुआछूत जैसी कुरीतियों को समाज से मिटने हेतु भी सदैव ही अग्रसर हो कर कार्य कर रहे हैं |
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा देवकीनंदन जी को उनके धर्म कार्यों के लिए यूपी रत्न से भी सम्मानित किया जा चूका है |
ठाकुर जी महाराज ने गुरु की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए और भागवत कथा का प्रचार करते हुए लाखों भक्तों को भगवान के प्रति समर्पित करने का कार्य किया है। उनकी दीक्षा ने न केवल उनके जीवन को एक नई दिशा दी, बल्कि उनके अनुयायियों के जीवन में भी अध्यात्मिकता का संचार किया।