Akrur Ji Maharaj – कौन थे अक्रूर जी ? क्या था श्री कृष्ण से सम्बन्ध ?

Akrur Ji Maharaj

श्री अक्रूर जी महाभारत और श्रीमद्भागवत पुराण के प्रमुख पात्रों में से एक थे। जिन्हे श्री कृष्ण का काका और वासुदेव का भाई भी माना जाता है। अक्रूर जी श्री कृष्ण के परम भक्त और उनके मामा कंस के विश्वासपात्र मंत्री थे। जिनकी भूमिका श्री कृष्ण की मथुरा यात्रा और कंस के वध में महत्वपूर्ण रही। उनके चरित्र में भक्तिभाव और धर्म के प्रति निष्ठा का अद्वितीय मिश्रण था। तो आइए अक्रूर जी के बारे में जानते हैं।

कौन थे श्री अक्रूर जी महाराज ?

श्री अक्रूर जी यादव वंश के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे और वृष्णि कुल के सदस्य थे। जिनकी माता का नाम गांदिनी और पिता का नाम श्वफल्क था। अक्रूर जी अत्यंत विद्वान, सत्यवादी और भगवान श्री कृष्ण के प्रति गहन श्रद्धा रखने वाले ब्यक्ति थे। अक्रूर जी को उनके ज्ञान, नीति, और भक्ति के लिए जाना जाता था। उनके पास कंस के दरबार में उच्च पद था और वे कंस के विश्वासपात्र मंत्री के रूप में कार्यरत थे।

हालांकि अक्रूर जी कंस के मंत्री थे, लेकिन वे हृदय से श्री कृष्ण के भक्त थे। वे जानते थे कि कंस अत्याचारी राजा है और श्री कृष्ण ही उसे हराकर संसार से उसके अत्याचारों का अंत करेंगे। जब कंस ने उन्हें श्री कृष्ण को मथुरा लाने का आदेश दिया, तो अक्रूर जी ने इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी सेवा के रूप में देखा। वे जानते थे कि श्री कृष्ण के मथुरा आगमन से कंस का अंत निकट है। जिस कार्य को करने में उन्हें आत्मिक सुख की प्राप्ति हुई।

कंस ने अक्रूर जी को श्री कृष्ण के पास क्यों भेजा?

कंस को आकाशवाणी से यह भविष्यवाणी सुनाई दी थी कि, वसुदेव और देवकी का आठवां पुत्र ही उसका वध करेगा। इसलिए उसने अपनी बहन देवकी के सभी संतानों को मार डाला था। लेकिन श्री कृष्ण उसके हाथों से बच गए और नंदगांव में गोकुलवासियों के बीच बड़े हुए। कंस को जब यह पता चला कि श्री कृष्ण ही वह बालक हैं जो उसकी मृत्यु का कारण बनेंगे, तो उसने उन्हें मारने के कई प्रयास किए लेकिन सभी में असफल रहे।

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अंततः कंस ने अक्रूर जी को नंदगांव भेजा, ताकि वे श्री कृष्ण और बलराम को मथुरा बुला सकें। यह वही समय था जब श्री कृष्ण ने वृन्दावन को छोड़ मथुरा चले गये | कंस ने एक कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया और उसमें श्री कृष्ण और बलराम को आमंत्रित किया। कंस का उद्देश्य था कि, वह मथुरा में आकर इन दोनों भाइयों को मरवा देगा। उसने सोचा कि अक्रूर जी जो उसके भरोसेमंद मंत्री थे, वे आसानी से श्री कृष्ण को मथुरा लाने में सफल हो जाएंगे। हालांकि जब अक्रूर जी श्री कृष्ण को मथुरा ले जा रहे थे, तो उन्हे भगवान के दिव्य स्वरूप के दर्शन भी हुए थे।

श्री अक्रूर जी मंदिर, वृंदावन

श्री अक्रूर जी मंदिर वृंदावन के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, जो भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहाँ अक्रूर जी ने श्री कृष्ण और बलराम को पहली बार नंदगांव से मथुरा ले जाते समय यमुना नदी में स्नान किया था। इस घटना के बाद ही अक्रूर जी को भगवान श्री कृष्ण के दिव्य स्वरूप के दर्शन हुए थे, जो उनकी भक्ति को और भी गहन बना गया।

मंदिर की वास्तुकला प्राचीन काल की कला और भव्यता को दर्शाती है। यहाँ नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती है, और विशेष अवसरों पर भक्त बड़ी संख्या में यहाँ एकत्रित होते हैं। यह मंदिर अक्रूर जी की भगवान श्री कृष्ण के प्रति अटूट भक्ति और निष्ठा का प्रतीक है और उनके द्वारा किए गए सेवा कार्यों की याद दिलाता है।