Braj 84 Kos Yatra – जानिए यात्रा का मार्ग और पूर्ण इतिहास

Braj 84 Kos Yatra

वैसे तो दुनिया भर में करोड़ों कृष्ण भक्त रहते हैं, किंतु कुछ को वृन्दावन धाम में आ कर कृष्ण जी के दर्शन का अवसर प्राप्त होते है | और इनमे से भी बहुत कम भक्त ऐसे होते हैं जिन्हें ब्रज की 84 कोस यात्रा पूरी करने का भाग्य होता है | यह यात्रा ब्रज भूमि की एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक यात्रा है| इस यात्रा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी प्रमुख स्थलों का परिक्रमा करने का भाग्य प्राप्त होता है।

यह यात्रा लगभग 252 किलोमीटर यानि 84 कोस की है और इसे पैदल पूरा किया जाता है। इस यात्रा के दौरान भक्तगण ब्रज के विभिन्न धार्मिक स्थलों जैसे वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव, और बरसाना की परिक्रमा करते हैं। यह यात्रा धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और ध्यान का एक अद्भुत संगम है। जिसमें भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भाग लेते हैं।

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84 कोस यात्रा का इतिहास – History of 84 Kos Yatra

84 कोस यात्रा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। जिसका वर्णन वराह पुराण में मिलता है। जिसके अनुसार पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। इसलिए चातुर्मास में 84 कोस यात्रा का सबसे ज्यादा महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि जब एक बार मैया यशोदा और नंद बाबा ने चार धाम यात्रा की इच्छा प्रकट की, तो भगवान श्री कृष्ण ने उनके दर्शनों के लिए सभी तीर्थों को ब्रज में ही बुला लिया था।

आगे चल कर मध्यकाल में भी इस यात्रा का महत्व बना रहा, और समय-समय पर इसे करने की परंपरा जारी रही। आज भी यह यात्रा हजारों श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है। जो ब्रज भूमि की पवित्रता और श्रीकृष्ण की दिव्यता को अनुभव करने के लिए इसे पूर्ण करते हैं।

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84 कोस यात्रा मार्ग – Yatra Route

84 कोस यात्रा का मार्ग ब्रज क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों से होकर गुजरता है। यात्रा की शुरुआत मथुरा से होती है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसके बाद यात्रा वृंदावन की ओर बढ़ती है, जहाँ भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाएँ की थीं। वृंदावन से यात्रा गोवर्धन पर्वत की ओर जाती है, जहाँ श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। इसके पश्चात् यात्रा में भक्त नंदगांव और गोकुल की ओर जाते हैं, जहाँ कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं का प्रदर्शन किया था। इसके अलावा यात्रा बरसाना, राधारानी का गाँव और कई अन्य छोटे-बड़े धार्मिक स्थलों से होकर गुजरती है। निचे आप ब्रज धाम एक पुराना मानचित्र (Map) देख सकते हैं |

महीनों तक चलने वाली इस पैदल यात्रा में 12 वन, 24 उद्यान, 20 कुंड और अनेकों पहाड़-पर्वत रास्ते में पड़ते हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालु इन स्थलों पर पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हैं।

84 कोस यात्रा का महत्व

84 कोस यात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। इस यात्रा को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षात्कार करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। यह यात्रा भक्तों को भगवान के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का अवसर प्रदान करती है। इसके अलावा यह यात्रा ब्रज भूमि की पवित्रता को भी प्रदर्शित करती है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया। यात्रा के दौरान भक्तों का मन और शरीर शुद्ध होता है और उन्हें आत्मिक शांति का अनुभव होता है।

यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह ब्रज की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को भी जीवित रखने में सहायक है। 84 कोस यात्रा का हिस्सा बनने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि, इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा मिलती है।

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