मथुरा के छाता में स्थित नारी सेमरी माता मंदिर, ब्रजमण्डल का एक अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। जहां नवरात्रि के अवसर पर विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। यही नहीं इस मंदिर में भक्तों द्वारा हथियारों से की जाने वाली पूजा, इस मंदिर को और रोचक बनाती है। तो आइए इसी रोचक मंदिर के बारे में कुछ और रोचक बाते जानते हैं।
दर्शन करने का समय :- यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है |
कैसा है नारी सेमरी माता मंदिर ?
नारी सेमरी माता मंदिर की स्थापत्य कला अद्वितीय और मनमोहक है। मंदिर का मुख्य भवन पत्थरों से निर्मित है, जो उसकी प्राचीनता और मजबूती को दर्शाता है। प्रवेश द्वार पर शानदार नक्काशी और देवी की मूर्तियों की सजावट है,जो भक्तों का ध्यान आकर्षित करती है। मंदिर के प्रांगण में एक विशाल हवन कुंड स्थित है, जहां नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान और हवन किए जाते हैं। प्रांगण के चारों ओर सुंदर बाग-बगीचे हैं, जो मंदिर की शांति और पवित्रता को बढ़ाते हैं।
मंदिर के अंदर देवी नारी सेमरी की मुख्य प्रतिमा स्थापित है, जो अद्वितीय और दिव्य आभा से युक्त है। यहाँ पर भक्तों के लिए प्रसाद, भोजन और विश्राम की उचित व्यवस्था है। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला भी है, जहाँ दूर-दराज से आए भक्त ठहर सकते हैं। मंदिर की व्यवस्था और यहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
प्रतिमाओं का रहस्य ?
नारी सेमरी माता मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं का रहस्य अत्यंत रोचक और रहस्यमयी है। मुख्य प्रतिमा देवी दुर्गा की है, जिन्हें यहां नारी सेमरी माता के रूप में पूजा जाता है। यह प्रतिमा प्राचीन काल की है और इसे अत्यंत दिव्य और चमत्कारी माना जाता है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा स्वयंभू है। जिसका यह अर्थ है कि, यह किसी मानव द्वारा नहीं बनाई गई बल्कि दिव्य शक्ति द्वारा प्रकट हुई है।
नारी सेमरी माता मंदिर का इतिहास – Nari Semri Mata Mandir History
नारी सेमरी माता मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि, यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी। मंदिर के इतिहास से कई चमत्कारी घटनाएं और लोक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं, जो इसकी महत्ता और दिव्यता को और बढ़ाती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार जब पांडव अपने वनवास के दौरान मथुरा पहुंचे, तो उन्होंने यहाँ एक दिव्य स्थान की पहचान की और देवी दुर्गा की स्थापना की। कालांतर में यह स्थान नारी सेमरी माता के रूप में प्रसिद्ध हो गया। इस मंदिर की प्राचीनता को देखते हुए, इसका जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण कई बार हुआ है। लेकिन इसकी मूल संरचना और आध्यात्मिकता हमेशा बनी रही।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहाँ देवी ने कई चमत्कार दिखाए और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी कीं। यही नहीं अतीत में इस स्थान पर पूजा करने के लिए यादवों और ठाकुरों के बीच में एक लड़ाई भी हुई थी। जिसकी एक झलक आज भी चैत्र शुक्ल नवमी के दिन देखने को मिलती है। जब सैकड़ों श्रद्धालु तलवार, भाले और लाठी आदि हथियार लेकर यहाँ पूजा करने आते हैं। नारी सेमरी माता मंदिर का इतिहास हमें भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की गहराई और महत्ता का अनुभव कराता है।