अष्ट सखी मंदिर – यहाँ राधा रानी की सेवा करती हैं उनकी 8 सखियाँ

अष्ट सखी मंदिर

प्राचीन काल से ब्रज के कण-कण में रची बसी है राधा-कृष्ण की पावन प्रेम कहानी | और उसी पावन प्रेम के साथ साथ प्रचलित है राधा रानी की उन अष्वृंट सखियों की कथा | हमारे राधा कृष्ण की प्रेम कहानी और कईं लीलाओं में इन अष्ट सखियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है | वैसे तो राधा रानी, और श्री कृष्ण के वृन्दावन में हज़ारों मंदिर हैं किंतु उन सभी मंदिर से भीं है वृन्दावन स्थित अष्ट सखी मंदिर | इस मदिर को श्री राधा रास बिहारी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को दर्शाता ब्रज का एक मात्र ऐसा मंदिर, जहां भगवान श्री कृष्ण और राधारानी के साथ उनकी आठ संखियां भी विराजमान है। तो आइए राधारानी की सखियों को समर्पित, इस मंदिर के दिव्य भ्रमण पर चलते हैं।

दर्शन का समय

प्रात: 7:30 AM – 12:00 Noon
सायं – 5:00 PM – 9:00 PM

मेरो व्रन्दावन एंट्री पॉइंट से दुरी – 7.2 KM

अष्ट सखियाँ कौन थी?

अष्ट सखियाँ, भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की वो चहेती सहेलियाँ जिन्हे राधा रानी विशेष कर महत्व देती थीं। यही नहीं स्वयं भगवान श्री कृष्ण भी राधा रानी की उन अष्ट सहेलियों को मानते थे। ऐसा माना जाता है कि, भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की भांति, वे अष्ट सखियाँ भी दैवीय अवतार थीं। जो देव रूपी राधा-कृष्ण की सेवा के उद्देश्य से, देव लोक से मृत्यु लोक में अवतरित हुई थीं। वृन्दावन के सभी मंदिरों में से एक अष्ट सखियों को समर्पित ये एक्मेव्य मंदिर है |

ब्रज धाम में कुछ लोगों का मानना है कि, श्री अष्ट सखी मंदिर वृंदावन के उन स्थानों में से एक है। जहाँ भगवान कृष्ण अभी भी निवास करते हैं। कुछ भक्तों का यह भी दावा है कि, उन्होंने इस मंदिर के पास रात में पायल की आवाज़ और बांसुरी की धुन भी सुनी है।

अष्ट सखियों के नाम – Ashta Sakhi Names

श्री अष्ट सखी मंदिर राधा-कृष्ण की जिन आठ सहेलियों को  समर्पित है। उनके नाम ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंगविद्या, इंदरलेखा, रंगदेवी और सुदेवी है। आपको बता दें,राधा-कृष्ण की अष्ट सखियों में ललिता और विशाखा को मुख्य सखी माना जाता है।

अष्ट सखी मंदिर में भक्त श्री सीता राम, शिव पार्वती, श्री कृष्ण की कुलदेवी माँ कात्यानी और राधा कृष्ण की अति सुंदर मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं |

अष्ट सखी मंदिर का इतिहास

श्री अष्ट सखी मंदिर का निर्माण बंगाल के राजा, राजा राम रंजन चक्रवर्ती ने आज से लगभग 400 साल पहले करवाया था। जिनकी पत्नी लड्डू गोपाल जी की बहुत बड़ी भक्त थीं और दिन रात उनकी सेवा करती थीं। कहा जाता है कि,उनकी इसी सेवा भाव से प्रसन्न होकर एक दिन श्री कृष्ण ने उन्हे सपने में दर्शन दिए। जहां उन्होंने बताया कि, वृंदावन में अष्ट सखियों का कोई मंदिर नहीं है। तब राजा राम रंजन चक्रवर्ती ने बंगाल से आकर,वृंदावन में अष्ट सखियों के मंदिर का निर्माण करवाया। जहां आज भी मंदिर में मुख्य रूप से, श्री राधा कृष्ण की सेवा करती हुई अष्ट सखियों को देखा जा सकता है।

श्री अष्ट सखी मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि, मंदिर में स्थित लड्डू गोपाल जी की जो मूर्ति है वो स्वयं प्रकट हुई थी। जिसके बारे में ये कहा जा है कि, प्रकट होने के समय उस मूर्ति में पहले से ही कवच और मुकुट लगा हुआ था। वृंदावन की परिक्रमा मार्ग के बीच में और श्री बाँके बिहारी मंदिर के पास में स्थित ये मंदिर, वृंदावन की मंदिरों की शृंखला को भव्यता प्रदान करता है।

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