गुजरात का 5000 साल पुराना श्री द्वारकाधीश मंदिर है चार धामों में से एक

गुजरात का 5000 साल पुराना श्री द्वारकाधीश मंदिर है चार धामों में से एक

द्वारकाधीश मंदिर भारत  के उन महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, जिसे जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर गुजरात के द्वारका में स्थित है। यहाँ भगवान कृष्ण को द्वारकाधीश के रूप में पूजा जाता है। जिसका अर्थ है द्वारका का राजा। द्वारकाधीश मंदिर को हिंदू तीर्थ समूह में, चार धामों में से एक के रूप में भी जाना जाता है। जहां हर साल हजारों की संख्या में लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। तो चलिए हम आपको भी, चार धामों में से एक इस द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन कराते हैं।

दर्शन का समय

प्रात: – 6:30 AM – 1:00 PM
सायं – 5:00 PM – 9:30 PM

श्री द्वारकाधीश मंदिर की निर्माणशैली

द्वारकाधीश मंदिर की दिशा, जगह और बनावट वास्तुकला के बहुत अच्छे उदाहरणों में से एक है। वर्तमान मंदिर का निर्माण चालुक्य शैली में चूना-पत्थर से किया गया है। इसलिए इसकी खूबसूरती आज भी बनी हुई है। इस मंदिर की इमारत 5 मंजिला है। ये मंदिर 72 स्तंभों पर टीका हुआ है और इस मंदिर की खास बात ये हैं कि, यहां 235 फीट ऊँचे शिखर पर लगी ध्वजा हमेशा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर लहराती रहती है। वहीं इस मंदिर की बनावट से पैदा होने वाली सकारात्मक उर्जा से हर तरह की शांति मिलती है। इसके प्रभाव से श्रद्धालुओं के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और बुरे विचार दूर हो जाते हैं। इस मंदिर का गर्भगृह और मंडप का स्थान भी, वास्तु को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जिसके प्रभाव से यहां आने वाले लोग सम्मोहित हो जाते हैं।

मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए दो मुख्य द्वार हैं। दक्षिण द्वार स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है, जबकि उत्तरी द्वार मोक्षद्वार के नाम से प्रसिद्ध है।

श्री द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास

पुराणों के अनुसार करीब पांच हजार साल पहले जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका नगरी बसाई, तो जिस स्थान पर उनका निजी महल यानी हरि गृह था। वहीं पर द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुज प्रतिमा है, जो चांदी के सिंहासन पर विराजमान है। जहां प्रभु अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए हुए हैं।

गुजरात का द्वारिकाधीश मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। ये आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के 4 धामों में से एक है। द्वापर युग में ये स्थान भगवान कृष्ण की राजधानी था।

पुरातात्विक खोज की माने तो, द्वारिकाधीश मंदिर करीब 2,000 से 2200 साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि, करीब 2500 साल पहले द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने करवाया था। बाद में इस मंदिर का और विस्तार किया गया।

मंदिर की खास बातें

पांच मंजिला द्वारिकाधीश मंदिर के शिखर पर लहराती धर्मध्वजा को देखकर, दूर से ही श्रीकृष्ण के भक्त उनके सामने अपना सिर झुका लेते हैं। यह ध्वजा लगभग 84 फीट लंबी हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के रंग मौजूद हैं। मंदिर के ऊपर लगी ध्वजा पर सूर्य और चंद्रमा का प्रती‍क चिह्न बना हुआ है। जो भगवान श्री श्रीकृष्ण के प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए उनके मंदिर के शिखर पर, सूर्य-चंद्र के चिह्न वाले ध्वज हमेशा लहराते रहते हैं। द्वारकाधीश जी मंदिर पर लगी ध्वजा को दिन में 3 बार सुबह, दोपहर और शाम को बदला जाता है। मंदिर पर ध्वजा चढ़ाने-उतारने का अधिकार अबोटी ब्राह्मणों को प्राप्त है। जहां हर बार अलग-अलग रंग का ध्वज मंदिर के ऊपर लगाया जाता है। इसके साथ ही द्वारिकाधीश मंदिर  में ध्वजा पूजन का भी विशेष महत्व होता है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *