जुगल किशोर मंदिर (Jugal Kishor Mandir) क्यों 350 सालों से आज तक बंद है ?

Jugal Kishor Mandir

आज हम आप सभी भक्तों को एक ऐसे मन्दिर के बारे में बतायेंगे जो सदियों से मुग़ल आक्रान्ताओं की गवाही देता है | वैसे तो मुगल आक्रान्ताओं ने सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए कईं कुकर्म किये | जिसका असर वृन्दावन के जुगल किशोर मन्दिर पर भी पडा | यह मन्दिर वृन्दावन के सबसे पुराने मन्दिरों में से एक है | 

Jugal Kishore Mandir Location

जुगल किशोर मन्दिर का इतिहास

इस मंदिर का निर्माण जहांगीर के शासन काल में सन 1627 में नौकाकारन नामक राजपूत ने करवाया था | कहा जाता है कि वह ओरछा के राजा रायसेन का बड़ा भाई था | वृंदावन में तीन वन प्रमुख हैं निधिवन, सेवाकुंज, और किशोर वन | सेवा कुंज के ठीक बगल में किशोर वन स्थित है | जानकारी के अनुसार श्री युगल किशोर जी के विग्रह (मूर्ति), श्री हरिराम व्यास जी को संवत् 1620 में वृंदावन में स्थित किशोर वन में एक कुएं से प्राप्त हुए थे | 

मुगल आक्रान्ताओं की वजह से किया स्थानान्तरण 

jugal kishore temple vrindavan
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जैसे की हम सभी जानते हैं की काफी समय पहले जब मुगल राज अपने चरम पर था | उस समय मुगलों ने सनातन को मिटाने के लिए कईं मन्दिरों को विध्वंस करने के लिए अपना निशाना बनाया | उससे बचने के लिए मन्दिर के पुजारियों ने मूल विग्रह (मूर्ति) को मध्य प्रदेश में एक रजा के अधीन कर दिया गया | कुछ समय बाद वातावरण शांत होने पर बाकि मूर्तियों को तो वापस लाया गया, पर जुगल किशोर की मूर्ति को नही लाया गया | तभी से वृन्दावन का यह मन्दिर बंद है | आज मध्य प्रदेश के पन्ना में जो जुगल किशोर स्थापित हैं, वहां व्ही विग्रह है जो मुगल काल में स्थानांतरित किया गया था |

जुगल किशोर मन्दिर की वास्तुकला 

लाल पत्थर से बने इस मंदिर में बेहतरीन कारीगरी देखने को मिलती है मंदिर के मुख्य द्वार पर गोवर्धन पर्वत धारण किए हुए गिरधारी श्री कृष्ण जी और लाठी टेककर शिकारों की घुमाकर ट्यूमर है द्वार पर पुष्प पक्षी आदि का सुंदर अलंकरण है इस मंदिर का शिखर और हमला कलात्मक हैं |

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